आज का दिन बहुत खुशनुमा रहा पर रात 3 बजे सें मन बहुत चिंतित और परेशान था। वस्तुतः मेरे घर के रैक वाली खिड़की के ऊपर एक कबुतरी पिछले तीन महिनें से रह रहीं थीं। आए दिनों वह अपनें अंडे देने के लिए अपनें घोंसले को लकड़ी की तिल्लीयों से सजा रही थी।जहाँ तक मुझे याद हैं कि वह कबुतरी
अंडे देने के बाद लगभग 1 महिने तक अपनें अंडे को सेवि थी,फिर अंडे से चुजा़ निकला था।आज वह चुजा़ एक चुड़मुन बन गई हैं।
पर वह अभी बहुत छोटी हैं।वह कबुतरी मेरे रैक पर बहुत गंदगी फैलाती हैं,पर फिर भी हम उसे बिल्कुल परेशान नहीं करते। ऊपर से हम
हमेशा उसके ताक- झाक में रहते हैं ताकि उसे और कोई परेशान ना करें। मैं जिस बिल्डींग में रहता हूँ,वह बिल्डींग एक तीन मझला बिल्डींग हैं।इस बिल्डींग में मैं अकेला रहता हूँ। और यहाँ लगभग 100 से भी ज्यादा कबुतर, एवं कुछ गिलहड़ीयाँ रहती हैं।
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ये कबुतर अपना भोजन-पानी का व्यवस्था आसपास के मैंदानो मे जाकर स्वयं करती है।इस बिल्डींग में राहुल चंद्र सर जो कि सिविल सर्विसेज़ परिक्षाओं की तैयारी करवातें हैं एवं जो कि एक जानेमानें चर्चित शिक्षक है, का आनलाइन कोचिंग क्लास चलता हैं। और यह बिल्डिंग भी उन्ही का हैं।
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ये कबुतर कोचिंग क्लास में भी अपना घोंसला बना रखे हैं पर इस्से हमें कोई परेशानी नहीं होती।
हाँ पर एक बात का डर हमेंशा बना रहता हैं,कि हमारे समाज में एक नट जाती का समुदाय पाया जाता हैं जो की घुमन्तु एवं शिकारी मनोवृति का होता हैं। इसलिए हमें अपनें कबुतरो की सुरक्षा के लिए हमेशा इनसे सतर्क रहना पड़ता हैं। एक दिन मैंनें उन्हीं नट के बच्चों को उनके गुलेल के साथ मेरे बिल्डींग के कबुतरों को शिकार करते देखा।
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उस दिन तो मैंने उन्हें डाँट कर भगा दिया पर उसके कल होकर मेरे घर के रैक वाले चुड़मुन की माँ का कोई अता पता नही था। इस बात की जानकारी मुझे तब हुई जब चुड़मुन रात भर अपनें नुकिली चोंच से उसके घाेंसले के सामने रखे एक खाली डब्बे को भुख से व्याकुल होकर जोड़-जोड़ से पीट रही थीं,पर मुझे ऐसा प्रतित हुआ कि कोई चोर हमारे निचले तल्ले के दरवाजे को यह जानने के लिए पिट रहा हैं कि
बिल्डींग में कोई जगा हैं या नहीं,मैनें जैसे ही दरवाजे के पिटने की आवाज सुनी मैे झट से अपने टाॅर्च को लेकर दरवाजा खोलकर बाहर की ओर निकला पर दूर-दूर तक मुझे कोई नहीं दिखा, फिर मैं यह सोचा कि शायद चैत्र माह का पछुआ हवा जोड़ो से बह रहा हैं,और इसी हवा के झोंको से दरवाजा पिटनें की आवाज़ आई होंगी।मैं मुख्य द्वार के दरवाजे को बंद कर पुणः अपनें कमड़े में आकर सो गया। पर फिर कुछ समय बाद फिर से दरवाजें पिटने की आवाज़ सुनाई दी। इस बार मै बिना कुछ साेंचे समझे अपने टाॅर्च को लेकर छत पर चला गया वहाँ ऊपर बड़ी जोड़ो की पछुआ हवा बह रही थी और साथ मे बिल्डींग के सटे एक भूतहा पीपल
का पेड़ भी ऐसे झूम रहा था मानो एक नहीं दस दस भूत पेड़ को एक साथ झमोड़ रहा हों।
वैसे तो मुझे यहाँ कभी डर नहीं लगता था,पर उस पीपल के पेड़ को झूमते देखकर उस दिन मुझे बहुत डर लगा। फिर भी हिम्मत जुटाते हूए मैंने छत के चारो ओर नीचे की ओर एक नज़र दौड़ाया पर कही कुछ नहीं दिखा। फिर मैं वापस अपनें कमड़े में आ गया। और जैसे ही मैं वापस सोने जा रहा था,कि फिर से वहीं खटखटाने की आवाज़ सुनाई दी। अब इस बार मैंने बिना डरे हुए,उस आवाज़ को ध्यान पूर्वक सुना और तब मुझे पता चला की ये आवाज़ हमारे कमडे़ के रैक के ऊपर से आ रहीं है। जब मैं ऊपर जाकर देखा तो पाया कि चुड़मुन अपने चोंच से सामने रखे खाली डब्बे को जोड़-जोड़ से पिट रहीं थी। चुड़मुन की इस हरकत को देखकर मुझे बहुत गुस्सा आया।पर बाद में यह गुस्सा मेरी हॅसी मे बदल गई।क्योकीं मुझे जो चोर लग रहा था वह चोर कोई और नहीं मेरे घर की चुड़मुन थी।चुड़मुन ऐसा भूख से परेशान होकर कर रहीं थी,पर ऐसा ए पहला दिन था,जब मैने चुड़मुन को रात को अकेला देखा था।मुझे समझ नही आ रहा था कि आखिर चुड़मुन की माँ रात को अपनेे घोंसले मे क्यो नहीं लौटी।
फिर मेरा ध्यान कल गुलेल से खेल रहे बच्चो पर गया और मुझे लगा कि चुड़मुन की माँ को उन्ही शिकारी बच्चों ने शिकार कर अपने घर ले गए।पर चुड़मुन की इस हालत को देख मुझे बहुत बुरा लग रहा था। और मैं यह सोच कर परेशान हो रहा था कि चुड़मुन तो इतनी छोटी हैं और वह अभी उड़ भी नहीं सकती ,बेचाड़ी चुड़मुन भूख से छटपटा कर मेरे घर में मर जाएगी। हालाँकि इसमे मेरी कोई गलती नहीे थी। पर मैंने परेशान होकर अपने घर फोन किया और अपने भाभी को बताया और भाभी इस बात को सुनकर बड़ी जोड़-जोड़ से हँसने लगी और फिर उन्हें भी बाद में इस बात का बहुत अफसोस हुआ।अब मैं ये सोचने लगा कि अगर मैं अपनें चुड़मुन को दूसरे कबुतर के घोंसले मे रख दूँ तो वो कबुतर भी मेरे चुड़मुन को मार देंगे। मैं सच में ये सोच-सोच कर बहुत परेशान हो रहा था। और मुझे लग रहा था कि अब मेरे चुड़मुन का क्या होगा ?
मैं इतना भावुक हो गया था कि मैनें 3 बजें सुबह में हीं चुड़मुन और अपनी कबुतर पर एक कविता लिख डाली ।
प्रस्तुत हैं मेरी लिखी हुई कविता का कुछ अंश:-कहाँ गई अरि ओरी चिड़ैया ,आज दिखत कहीं नाहीं। रोज़ तु आकर यहीं बैठत राहीं,पर आज मिलत कहीं नाहीं।। देर-सवेर तु आ जात रहुँ,पर आज त देर भईल भारी । कहाँ गई अरि ओरी चिड़ैया ,आज दिखत कहीं नाहीं।।
चुड़मुन रात भर सो नहीे पईले, अरे ओ चुड़मुन के मैया।
भुख से छटपट करत रहे उ,कोमल सी नन्ही चिड़ैया।।
निर्गुन हैं,निर्बोध हैं उ अभी,पंख भी निकलल नाहीं। भूख,प्यास,ममता के छैया और अकल कुछु नाहीं।। मन चिंतित ह,मन व्याकुल ह अरी ओ मोरी घर की चिडै़या।
धर लेहलक तोड़ा कोई शिकारी,कि कहीं और तु फँस गइल।। कहाँ गई अरि ओरी चिड़ैया ,आज दिखत कहीं नाहीं। रोज़ तु आकर यहीं बैठत राहीं,पर आज मिलत कहीं नाहीं।।
बाद में शायद ईश्वर नें चुड़मुन और मेरी प्रार्थना को सुन ली क्योंकि सुबह 9 बजे चुड़मुन की माँ अपने घोंसले में वापस आ गई। चुड़मुन अपनें माँ के चाेंच से दाने चुनने मे लग गई,और मैं मन-ही-मन भगवान को धन्यवाद दे रहा था और यहीं सोंच रहा था कि भगवान ऐसे ही हर एक बिछड़े को उनके अपनों से हमेशा मिलवाते रहना।। धन्यवाद!!
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मोदी जी नें यह क्या ट्वीट कर दिया? आओ फिर से दिया जलाएं अटल बिहारी वाजपेई की लिखी कविता।।
पाठक गण जैसा की आप सभी को पता है, कि मोदी जी ने पिछले 3 अप्रैल को सुबह 9:00 बजे एक वीडियो के माध्यम से भारत के सभी लोगों से 5 अप्रैल रविवार को रात 9:00 बजे अपने घरों के सभी लाइट को बंद करने का एवं कोरोनावायरस से लड़ने के लिए एकता को दिखाने के लिए 9 बजें सें 9 बजकर 9 मिनट तक अपने घर के दरवाजे या बालकोनी में कैंडल,दिया या मोबाइल का फ्लैशलाइट जलाने का अनुरोध किया है।
मोदी जी अपने उदार विचारधारा के कारण हमेशा से लोकप्रिय बने रहे हैं, इसी बीच मोदी जी ने हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लिखी हुई एक कविता का वीडियो भी ट्वीट किया।।
इस वीडियो को लोग बहुत पसंद कर रहे हैं।। अटल बिहारी वाजपेयी की लिखी हुई यह कविता एकता का एवं बाधाओं से लड़ने का, साथ ही वर्तमान की समस्याओं को देखते हुए भविष्य के बारे में सोचने की संदेश पहुंचा रही है। प्रस्तुत है माननीय भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा लिखित कविता।।
(आओ फिर से दिया जलाएँ) आओ फिर से दिया जलाएँ भरी दुपहरी में अंधियारा सूरज परछाई से हारा अंतरतम का नेह निचोड़े- बुझी हुई बाती सुलगाए, आओ फिर से दिया जलाएं।।
हम पड़ाव को समझे मंजिल .... लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल वर्तमान की मोह जाल में... आने वाला कल न भुलाए आओ फिर से दिया जलाएं।।
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा... अपनों के विघ्नों ने घेरा.... अंतिम जय का वज्र बनाने.... नव दधीचि हड्डियां गलाएँ.. फिर से दिया जलाए।। Click here to watch the video which modi ji twitted रचना क्रेडित:- माननीय भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी।।🙏🙏
मोदी जी ने अपने वीडियो के माध्यम से लोगों को यह भी संदेश दिया है।। कि कृपया लोग लॉक डाउन के नियमों को पालन करें एवं पिछले बार की तरह घरों से बाहर ना जाए और ना भीड़ इकट्ठा करें।। अपने दरवाजे या बालकोनी में ही दिया जलाएँ।।
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क्या आप भी अपने लोन्स कें EMI को भरने के लिए है परेशान? तो यह न्यूज़ आपके लिए इंपॉर्टेंट हो सकता है! जी हां साथियों जैसा की आप सभी को पता है, कि कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए विश्व के अधिकांश देश अपने अपने देश को लॉक डाउन कर रहे हैं। ताकि लोग अपने - अपने घरों में सुरक्षित रह सके। एवं संक्रमित लोग के संपर्क से होने वाले संक्रमण को रोका जा सके। यह सभी को ज्ञात है कि कोरोना वायरस covid-19 जो कि एक विशाल वैश्विक महामारी का रूप धारण कर लिया है।
एवं जिसने विकसित देशों के भी हालत को बुरी तरह से बिगाड़ दिया है। इटली,चीन,अमेरिका जैसे देशों में भी जहां पर चिकित्सा पद्धति एवं मेडिकल व्यवस्था इतना दुरुस्त है, वहां भी लाखों की संख्या में लोग इस बीमारी से संक्रमित हो रहे हैं, एवं अब तक हजारों जाने जा चुकी है। भारत सरकार ने स्थिति के के इसी गंभीरता को समझते हुए, भारत में भी कठोरता पूर्वक लॉक डाउन की धारा लगाई गई है। भारत में रहने वाले सभी वर्ग के लोग इस लॉक डाउन से प्रभावित है, चाहे वो फिल्मी दुनिया हो, या बड़े उद्यमी। पर भारत में सबसे ज्यादा कोरोना के कारण हुए लॉक डाउन की स्थिति से, निम्न वर्गीय एवं मध्यवर्गीय परिवार प्रभावित हुए हैं, क्योंकि इनमें से वैसे भी बहुत लोग हैं, जिनका पेट रोज काम पर जाने से ही भरता था।
हालांकि समस्याओं को देखते हुए सरकार ने बहुत सारी स्कीम बनाई है, जिससे लोगों को कुछ राहत मिल रही है, और बहुत लोग ऐसे हैं जिन्हें इस स्कीम के बारे में जानकारी भी नहीं है और नहीं तो वह इसका फायदा उठा पा रहे हैं। पर यदि आपने अपनी बाइक, इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट, कार या होम के लिए लोन ले रखा है। आपकी आमदनी भी नहीं हो पा रही है और आप इन लोन्स कें EMI को भरने के लिए परेशान है, तो आपके लिए यह अच्छी खब़र है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने यह दिशा निर्देश दिया है कि सभी प्रकार के लोन के EMI को आगामी 01-03-2020 सें 31-05-2020 तक टाले जाने की बात कही गई है। पर बैंकों के द्वारा यह भी कहा गया है कि जो व्यक्ति नौकरी पेशे वाले हैं, वह अपना इंस्टॉलमेंट जमा कर दें तो बेहतर होगा।
बैंकों द्वारा यह भी सूचना दी गई है, कि लोन में लगने वाले इंटरेस्ट को बैंक अवश्य वसूल करेगी। और बैंक इसका वसूली 2 महीने के बाद ईएमआई इंस्टॉलमेंट में बढोत्तरी करके करेगी।
जिनका ऑटोमेटेड सिस्टम है, उनके पैसे कटेंगे, इससे बचने के लिए बैंक में बैलेंस ना हो तो बेहतर होगा। वैसे पैसे कटने के बाद भी बैंकों के प्रक्रिया से होकर बैंकों से पैसा निकाला जा सकता है। ऐसे ही हर तरह का खबर पाने के लिए हमारे परिकल्पना पत्रिका को फॉलो करें। Please Click fir Source credit of this News.
Key words:-kya lock down me bhi hame apna loan emi bharna hoga?
Kya corona virus ke karan loan ka emi nahi bharna parega.
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मेरे प्यारे दोस्तों,
आप सभी को पता है, की एक कोरोना वायरस जो कि चीन के वुहान सिटी से होकर, पूरे विश्व में फैल गया। और यह एक ऐसा वायरस है, जो कि लोगों से लोगों के संपर्क में रहनें से फैल रहा हैं।
प्रकृति की विनाशकारी रूप को देखते हुए। आज विश्व के सभी लोग। अपने घरों में छुपे रहने के लिए मजबूर है।
यहां कोरोना वायरस का आतंक इतना ज्यादा बढ़ गया है। कि लोग इसके नाम से डर रहे हैं।
पर दोस्तों इस तरह का परिणाम, सिर्फ और सिर्फ प्रकृति को छेड़ने के वजह से ही उत्पन्न हुआ है। और आप लोगों को भी यह ज्ञात है, कि कोरोनावायरस जैसा बीमारी चमगादड़ के सूप पीने के कारण हुआ है।
इस तरह मानव जाति जब जब प्रकृति से खिलवाड़ करने का कोशिश किया है,
तब तक मानव जाति को उसका भीषण परिणाम भी भोगना पड़ा है।
प्रस्तुत है यह कविता जो कि यह संदेश दे रहा है कि मनुष्य को के प्रकृति के सभी संपदाओ से स्नेह करना चाहिए, ना की दुर्व्यवहार।
उम्मीद है यह कविता आप लोगों को अच्छी लगेगी।
कविता: (मानव तुम कब तक सुधरोगें?)
मानव कब तक तुम सुधरोगे? चेतना गई, करुण भाव गए, मन से दया का भंडार गया! अब इस तरह कब तक तुम बिगरोगें? मानव कब तक तुम सुधरोगे? मैनें सत्व गुण से सींचा तुमको, सर्व कला शास्त्र उपहार दिया। सद्बुद्धि भरकर मैं तुझमें, नवजीवन का अद्भुत वरदान दिया। परधरती पर जाकर तुमनें , सिर्फ कलंकित काम किया। वैर ईर्ष्या से भरे रहे तुम और अधर्म का प्रसार किया... अब इस तरह कब तक तुम मेरे स्वाभिमान से खेलोगे? मानव कब तक तुम सुधरोगे? धरती पर सब संतान है मेरे, पर्वत मेरे,वृक्ष हैं मेरे, पशु है मेरे, पुष्प है मेरे, पक्षी तो प्रिय प्राण है मेरे। इन को नष्ट कर कब तक तुम,हमारे हृदय पर घात करतें फिरोगें। मानव कब तक तुम सुधरोगे?
भेजा था धरती पर मैंने की तुम प्रकृति का सम्मान करोगे। नीर,अन्न,और फल पुष्पों सें, जीवन का उद्धार करोगे। पर धरती पर जाकर तुमने, हर जीवो से दुर्व्यवहार किया। निर्ममता से मारा उनको, उसका ही आहार किया.. इस तरह मेरे संतानों को मारकर तुम कब तक मुझे रुलाते फिरोगें? मानव तुम कब तक सुधरोगे? तुमने हमारे जंगलों को काटा, नई मशीनें बनाई, उद्योगों का निर्माण किया, हर ओर प्रदूषण फैलाया। इस तरह तुम कब तक हमारी संपदा को नष्ट करते फिरोगे? मानव कब तक तुम सुधरोगे? कुदरत को भूल तुम खुद को एक शक्तिशाली इंसान समझ बैठे हो। ओ मुर्ख मानव तुम क्यों खुद को भगवान समझ बैठे हो? इस तरह नासमझ बन,तुम कब तक भटकते फिरोगें? मानव तुम कब तक सुधरोगे? तुमने खुद ही बना ली है,अपनी अस्तित्व मिटाने के रास्ते। इसीलिए कहता हूँ छोड़ दो हिंसा, छोड़ दो धर्मों की लड़ाई। मत बनो ऊंच-नीच मत करो प्रकृति से लड़ाई, इस तरह कब तक अपने अस्तित्व मिटाते फिरते रहोगे? मानव कब तक तुम सुधरोगे? अगर अभी भी तुम ना सुधरे, मैं खुद धरती पर आऊंगा। विकराल काल का रूप मैं लेकर,एक ऐसा प्रलय मचाऊँगा- धरती से तेरा अस्तित्व हटाकर हटाकर, फिर एक नई सृष्टि रचाउँगा। ममता हूँ,मां हूँ, इसीलिए तो हर बार कहता हूंँ। मानो तुम जागो,फिर सें एक बार जागों मैं हमेशा तेरे साथ रहूंगा। और यही इंतजार है मेरा कि मानव तुम कब तक सुधरोगे?2 संदेश:-अभी सें भी खुद को बदल लो, नहीं तो फिर प्रकृति तुझे बदलनें का मौका नहीं देगी। मनोरम काव्य मंथन विडियों(अवश्य देखें):👇
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आपका अपना दोस्त गौरव मिश्रा।।🙏🙏