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Monday, 1 July 2019

अंतरिक्ष(Space) से संबंधी एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए उपयोगी नोट्स ।

        The Winners Platform(7903027267)
                अंतरिक्ष(Space)   


Ø  पृथ्वी के सतह से 100 KM से 1000 KM  की दूरी उपग्रह के लिए निचला सतह कहलाता है।
जिसमे ध्रुवीय उपग्रह को स्थापित करते है।
Ø  जब पृथ्वी के सतह से 36000KM की ऊँचाई पर किसी उपग्रह को स्थापित करते है, तो इसका घूर्णन गति पृथ्वी के घूर्णन  गति के समान हो जाता है। जिस्से यह पृथ्वी के सापेक्ष स्थिर मालूम पड़ता है। ऐसे उपग्रह को भू-स्थिर उपग्रह कहते है। और इसके कक्षा को भू-स्थिर कक्षा कहा जाता है ।                            
             उपग्रह प्रक्षेपण यान
SLV(Satellite Launching Vehicle)-
Ø  यह प्रथम पीढ़ी का प्रक्षेपण यान था। इसमे ठोस ईंधन के प्रयोग किए जाते थे।
Ø  इसकी सहायता से अधिकतम 40 KG द्रव्यमान तक का उपग्रह प्रक्षेपित किया जाता था ।
Ø  SLV का पूरा नाम Satellite Launching Vehicle है।
ASLV(Augmented Satellite Launching Vehicle)
Ø  यह द्वितीय पीढ़ी का प्रक्षेपण यान था ।
Ø  इसमे  ठोस ईंधन का प्रयोग होता था।
Ø  इसकी सहायता से 150 kg द्रव्यमान तक का उपग्रह प्रक्षेपित किया जा सकता था।
Ø  इसका पूरा नाम Augmented Satellite Launching Vehicle है
PSLV(Polar Satellite Launch Vehicle)
Ø  PSLV-भारत के तीसरे पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है। PSLV मे पहली बार द्रव्य ईंधन का प्रयोग किया गया।
Ø  इसमे 4 चरणों मे ईंधन का प्रयोग किया जाता है ।
Ø  इसकी सहायता से अधिकतम 2 टन क्षमता के उपग्रह को प्रक्षेपित किया जा सकता है।
Ø  इसका पूरा नाम (Polar Satellite Launch Vehicle) है ।
GSLV(Geostationary Satellite Launch Vehicle)
Ø  GSLV यह चौथे पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है ।
Ø  GSLV मे द्रव्य ईंधन का प्रयोग किया जाता है ,जो तीन चरण मे होता है ।
Ø  GSLV के तीसरे चरण मे क्रायोजेनीक ईंधन का प्रयोग किया जाता है।जिसमे निम्न ताप पर द्रव्य रूप  मे हाइड्रजन और आक्सिजन गैस होता है। 
Ø  क्रायोजेनिक का अर्थ निम्न ताप होता है ।
Ø  GSLV के सहायता से पृथ्वी के ऊपरी कक्षा पर 36 हजार किलोमीटर के ऊँचाई पर किसी उपग्रह को स्थापित किया जाता है ।
Ø  GSLV का पूरा नाम (Geostationary Satellite Launch Vehicle) है।
Ø  GSLV के सहायता से पृथ्वी के ऊपरी कक्षा मे 36 हजार किलोमीटर के ऊँचाई पर किसी उपग्रह को स्थापित किया जाता है ।
v भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र मे विकास
v  2008 मे चंद्र यान-1 को PSLV, C-11 से प्रक्षेपित किया गया ।
v  यह मानव रहित अभियान था।
v  2014 मे मंगल यान c,D-5 द्वारा प्रक्षेपित किया गया । भारत का पहला वेध शाला 2015 मे एस्टोसेट प्रक्षेपित किया गया ।
v  2016 मे PSLV, C-34 के द्वारा एक साथ 20 उपग्रह को प्रक्षेपित किया गया ।
v  15 फरवरी 2017 को PSLV, C-37 के सहायता से एक साथ 104 उपग्रह प्रक्षेपित किया गया ।
v  जिसमे तीन भारत के और 101 दूसरे देश के उपग्रह थे ।
v  2018 मे IRNSS नौवहन उपग्रह प्रणाली (Indian Regional Navigational Satellite System)स्थापित किया गया ।
v  2018 में  Nano उपग्रह के  के लिए पप्रशिक्षित करने हेतु उन्नति कार्यक्रम प्रारंभ किए गए ।
v  4 दिसम्बर 2018 को भारत का सबसे भारी उपग्रह G-SAT-11 (वजन लगभग 6 टन )।फ्रेंच गुएना के कोरु से प्रक्षेपित किया गया ।
v  24 जनवरी 2019 को KALAM-SAT,V-2–और MICRO-SAT,R को PSLV C -44 से प्रक्षेपित किया गया।  27 मार्च 2019 को मिशन शक्ति के द्वारा उड़ीसा के बालासोर के कलाम द्वीप से ASAT का सफल प्रक्षेपण किया गया।
v  भारत अमेरिका रूस और चीन के बाद इस तकनीक का प्रयोग करने वाला भारत विश्व का चौथा देश बना।
v  यह अभियान DRDO(Defense Research and Development organization) के नेतृत्व मे किया गया। चंद्र यान -2 :-इसे 15 जुलाई 2019 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित करने की योजना है ।
v  इसे GSLV MARK -3 द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा, इसमे पहिया दार रोबर और लैंडर भी भेजे जाने है,जो चाँद के सतह पर चलकर वहाँ उपस्थित पदार्थ के संकेत नीचे भेजेंगे ।
v  2019 -20 मे सूर्य के सतह पर के कैरोना के अध्ययन के लिए आदित्य मिशन कार्यकर्म निर्धारित किए गए है ।
v  भारत पुनः उपयोग योग्य विमान के निर्माण के दिशा मे अवतार कार्यकर्म निर्धारित किए है ।
v  गगन यान:- प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 15 अगस्त 2018 को गगन यान के बारे मे घोषना की गई   गगन यान द्वारा 2022 तक भारत अपने देश के तीन व्यक्तियों को अंतरिक्ष मे भेजने और वहाँ 7 दिन रहने का कार्यक्रम निर्धारित किए है ।

अंतरिक्ष क्षेत्र मे विश्व के महत्वाकांक्षी योजनाए।  
v  स्पेस लाइफ ऑरिजिन के तहत मिशन क्रैडल के अंतर्गत नीदरलैंड ने 2024 तक अंतरिक्ष में प्रसव कार्य कराने(बच्चे जन्म) की योजना का कार्यकर्म निर्धारित किया है । 
v  संयुक्त राज्य अमेरिका ने क्षुद्र ग्रह (मंगल और बृहस्पति के बीच )के अध्ययन के लिए OSIRIS-Rex उपग्रह को भेज है ।  जो बेन्नू नामक क्षुद्र ग्रह पर उतरा  है ।
v  चीन के लिंक श्योर नेटवर्क ने 2026 तक 272 सॅटॅलाइट द्वारा पूरे विश्व को निःशुल्क वाई-फाई देने की योजना निर्धारित किया है।









Edited & Created By:Gaurav Mishra.
Technical Team(E-vidya)

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