Saturday, 30 December 2017

मानवता एवं अहिंसा सबसे बड़ा धर्म हैं।

आइए आज  हम आपका परिचय सच्चे धर्म से करवाते हैं।
सबसे पहले निम्न चित्रो को सह्रिदय देखे एवं महसुस करे:-
""अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंिसा  च: l"

(अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है और धर्म रक्षार्थ हिंसा भी उसी प्रकार श्रेष्ठ है)

Ahimsa Paramo Dharma Dharma himsa tathaiva cha,, 
(Non-violence is the ultimate dharma. So too is violence in service of Dharma).
आरत कैय हरि भक्ति करु, सब कारज सिध होये।    करम जाल भव जाल मे, भक्त फंसे नहि कोये।।
प्रभु की भक्ति आर्त स्वर में करने से आप के सभी कार्य सफल होंगे।
सांसारिक कर्मों के सभी जाल भक्तों को कमी फाॅंस नहीं सकते हैं।
प्रभु भक्तों की सब प्रकार से रक्षा करते है।
Aarat kai Hari bhakti karu,sab karaj sidh hoye
Karam jal bhav jal me,bhakt fase nahi koye.

If one prays to God, crying with pain, all the works will be successful
Pitfalls of action and worldly nets can never trap a devotee.  


आदमी का आदमी हर हाल में हमदर्द हो  
इक तवज्जोह चाहिए इंसाँ को इंसाँ की तरफ़ 

सृष्टि का यह नियम है कि जो इस धरती पर आया है उसे एक न एक दिन अपने शरीर को छोड़कर वापस परलोक जाना है, यानी उसकी मृत्यु तय है। मृत्यु के विषय में पुराणों में जो बातें बताई गयी हैं उसके अनुसार हर व्यक्ति के साथ मृत्यु के सयम यह 10 बातें जरूर होती हैं।

जब किसी व्यक्ति को पानी में, तेल में, दर्पण में अपनी छवि नही आए या उनकी परछाई विकृत दिखाई देने लगे तो ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति के शरीर त्यागने का समय नजदीक आ चुका है।

मृत्यु के नजदीक आने पर व्यक्ति की आंखों की रोशनी खत्म हो जाती है और उसे अपने आस-पास बैठे लोग भी नजर नहीं आते।


जीवन में जो भी अच्छे या बुरे कर्म किए हैं वह सारे कर्म व्यक्ति की आंखों के सामने से इस प्रकार गुजरते हैं जैसे किसी फिल्म को आप उलटा देख रहे हों यानी जीवन के अंतिम कर्म से लेकर जन्म तक की सभी घटनाएं आंखों के सामने तैरती चली जाती है।


जिनके कर्म अच्छे होते हैं उन्हें अपने सामने एक दिव्य प्रकाश नजर आता है और व्यक्ति मृत्यु के समय भी भयभीत नहीं होता।

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब मृत्यु की घड़ी निकट आती है तो यम के दो दूत मरने वाले प्राणी के सामने आकर खड़े हो जाते हैं।

जिनके कर्म अच्छे नहीं होते हैं उन्हें अपने सामने यम के भयंकर दूत खड़े दिखते हैं और वह भयभीत होता रहता है


शरीर त्याग करने के अंतिम समय में व्यक्ति की आवाज भी खत्म हो जाती है और वह बोलने की कोशिश करता है लेकिन बोल नहीं पाता है। आवाज घरघराने लगती है जैसे किसी ने गला दबा रखा हो।

आत्मा जीवन की सभी घटनाओं को यानी कर्मों को अपने साथ लेकर शरीर को त्याग देती है और यमदूत व्यक्ति के अभौतिक शरीर को अपने साथ लेकर यमराज के दरबार की ओर ले जाते हैं।

व्यक्ति के मृत्यु के बाद पापी मनुष्य को ढाई मुहूर्त में यानी लगभग 24 घंटे में यमदूत वायुमार्ग से यमलोक ले जाते हैं। यहां यमराज व्यक्ति के कर्मों का लेखा जोखा करते हैं इसके बाद यमदूत वापस व्यक्ति की आत्मा को लेकर पृथ्वी पर आते हैं।


व्यक्ति के मृत्यु के बाद पापी मनुष्य को ढाई मुहूर्त में यानी लगभग 24 घंटे में यमदूत वायुमार्ग से यमलोक ले जाते हैं। यहां यमराज व्यक्ति के कर्मों का लेखा जोखा करते हैं इसके बाद यमदूत वापस व्यक्ति की आत्मा को लेकर पृथ्वी पर आते हैं।

आगे की जानकारी अगले ब्लौग में
धन्यवाद ।

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