Wednesday, 24 January 2018

69 वे गणतंत्र दिवस 2018 के मुख्य अतिथि कौन है? 26 जनवरी 2018 पर निबंधl Know more about 69 th republic day? Who is the chief guest of 2018 republic day?Speech On republic day.


 देश के 69वें गणतंत्रता दिवस पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं!
Must Watch and share the video! 



नमस्ते दोस्तों  हमारे ब्लॉग  इ- स्टूडेंट्स क्लब  मे  आपका फिर से स्वागत है।
और आज   आपके लिए लाया हूं ।  गणतंत्र  दिवस  26 जनवरी  के बारे में  ढेर सारी जानकारियां। जिसे पढ़कर  आप अपना ज्ञान तो बढ़ा ही सकते है़। साथ ही  आने वाले 26 जनवरी  के  तैयारी के लिए  पहले से भाषण तैयार कर सकते हैं। आप अपने स्कूल कॉलेज  और अगर आप कोई राजनेता है। या फिर शिक्षक है।
हमारी  यह  ब्लॉग  आपको  26 जनवरी या गणतंत्र दिवस के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कराएगी।
आप जानते हैं  2018 में  गणतंत्र दिवस  शुक्रवार को मनाया जाएगा।


तो आइए जानते हैं।  गणतंत्र दिवस एवं इसके महत्व को जो कि आपको निम्नलिखित निबंध में जानकारी हासिल हो जाएगी।  तो  इंतजार कैसा करना ।
शुरू करते हैं नीचे दिए गए निबंध से;-




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                                        _गणतंत्र दिवस_
गणतंत्र दिवस हमारे भारत देश के  लिए  बहुत ही हर्षोल्लास का दिन है। हम सभी जानते हैं  कि 15 अगस्त 1947 को हमारा देश हिंदुस्तान  को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी मिली।
पर  हमारे देश को  1 संविधान या कानून की भी जरूरत थी। जो कि हमारा अपना कानून हो। और यह
संविधान  26 जनवरी 1950 से  लागू हो गया। और उसी की स्मृति में  जिसमें  हजारों लाखों लोगों की  जाने गई थी। आजादी के समय। और आजादी के बाद अपने देश का अपना कानून  हमें  और उल्लासित करती हैं।  तब से लेकर अब तक  हर वर्ष   26 जनवरी को  हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं। इस दिन  सभी सरकारी एवं प्राइवेट कार्यालय में  अवकाश होता है। संविधान को बनाने में 2 वर्ष11 महीने 18 दिन का समय लगा  था। और इसके जनक डॉ भीमराव अंबेडकर को माना जाता है। भारत की आजादी 15 अगस्त 1947 को हो जाने के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई। और यह सभा 9 दिसंबर 1946  से संविधान निर्माण में कार्य करना शुरू कर दी। भारत के राज्यों के  सभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा संविधान के सदस्य चुने गए थे। जवाहरलाल नेहरु ,डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ,डॉ भीमराव अंबेडकर ,सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस संविधान सभा के मुख्य सदस्य थे।
 संविधान बनाते समय कुल 114 बैठक हुई थी।  जिसमें जनता और  प्रेस को बैठक में शामिल होने की स्वतंत्रता  थी।
 और इस तरह 26 जनवरी  1950 को  भारत में गणतंत्र लागू हो गई। और इसी साल से। हर  साल अब 26 जनवरी के दिन  गणतंत्र दिवस के रूप में  मनाते हैं।  यह भारत के तीन मुख्य  राष्ट्रीय पर्वों में से एक हैं।
26 जनवरी को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई०एन०सी०) ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। 
और  संविधान सभा  के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवम्बर 1949 को  भारत का संविधान सुपूर्द किया, इसलिए  26 नवंबर दिवस को भारत में  संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है।
इसीलिए हर साल 26 जनवरी को भारत के संविधान को लागू होने के स्मृति में हम लोग गणतंत्र दिवस मनाते हैं।
हर साल हमारे देश की राजधानी नई दिल्ली  राजपथ पर  परेड होता है   तथा लाल किले पर  माननीय राष्ट्रपति द्वारा  प्रत्येक वर्ष  तिरंगा फहराया जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं की राष्ट्रपति  भारत के प्रथम नागरिक होते हैं।  और सभी सेनाओं के  मुख्य    अर्थात  सभी सेनाओं के चीफ  भी भारत के राष्ट्रपति होते हैं। 26 जनवरी  के प्रदर्शन झाँकी को देखने के लिए  लोग सुबह से ही  भारत के राष्ट्रीय चैनल  को  अॉन कर लेते हैं। क्योंकि दिल्ली से सीधा प्रसारण नेशनल चैनल से किया जाता है।  इस दिन देश के हरेक राज्य से  खूबसूरत झांकियां निकलती है। हमारे देश के तीनों सेनाओं का अद्भुत प्रदर्शन भी होता है।और इस अद्भुत प्रदर्शन को देखने के लिए।  हमारे देश में  हर एक साल  नए अतिथि आते हैं। जिस में सुरक्षाबलों  का प्रदर्शन भी दिखाया जाता है। यह झांकी देखने में काफी खूबसूरत होती है।  

*कुछ अन्य जानकारी़:
*2018 का 26 जनवरी  69 वॉ गणतंत्र दिवस होगा।
*आसियान देशों में ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं. 
*दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन:(एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस, लघु:आसियान) दस दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का समूह है, जो आपस में आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने के लिए भी l




*गणतंत्र दिवस पर पहली बार 10 देशों के नेता होंगे मुख्य अतिथि  जिनके बारे में नीचे जानकारी दी गई है;-


1)थाईलैंड के प्रधानमंत्री जनरल प्रायुत चान-ओ-चा 
थाईलैंड के प्रधानमंत्री जनरल प्रायुत चान-ओ-चा पूर्व प्रधानमंत्री पूर्व प्रधानमंत्री यिंगलक शिनवात्रा के बाद दूसरे पीएम होंगे जो भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे।

2)म्यांमार की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की

म्यांमार की सर्वोच्च नेता और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित आंग सान सू की को भी मुख्य अतिथि के तौर बुलाया गया है।

3)ब्रुनेई के सुल्तान हसनअल बोल्किया
ब्रुनेई के सुल्तान हसनअल बोल्किया को निमंत्रण भेजा गया है. इससे पहले वो 2012 में भारत आए थे. उस समय आसियान देशों का सम्मेलन था।

4)कंबोडिया के पीएम हुन सेन
कंबोडिया के पीएम हुन सेन भी आएंगे।उनसे पहले किंग नोरोडोम 1963 को भारत आए थे।

5)इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको

विडोडो
इंडोनेशिया के राष्ट्राध्यक्ष को तीसरी बार भारत के गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि बनने का मौका मिला है।उनसे पहले  1950 में राष्ट्रपति सुकर्णो और साल 2011 में राष्ट्रपति सुसीलो बामबांग युधोयोनो आए थे।

6) सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन लूंग
सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन लूंग को निमंत्रण मिला है।1954 में पूर्व प्रधानमंत्री गोह चोक टोंग भी भारत के गणतंत्र दिवस में हिस्सा ले चुके हैं।

7)मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक
मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक को भी 26 जनवरी को आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि होंगे।

8) वियतनाम के प्रधानमंत्री न्गुयेन शुयान फुक 

वियतनाम के प्रधानमंत्री न्गुयेन शुयान फुक को भी भारत आने का न्यौता मिला है।चीन इससे चिढ़ सकता है क्योंकि उसे हमेशा से ही भारत और वियतनाम के संबंधों से दिक्कत रही है। 1989 में जनरल सेक्रेटरी न्गुयेन लिन्ह भी भारत आ चुके हैं।
9)लाओस के प्रधानमंत्री थॉन्गलौन सिसोलिथ पहली बार लाओस के किसी प्रधानमंत्री को गणतंत्र दिवस में आने का न्यौता भेजा गया है।

10) फिलीपींस के राष्ट्रपति ड्रिगो दुतेर्तेफिलीपींस के राष्ट्रपति ड्रिगो दुतेर्ते को निमंत्रण दिया गया है।वह भारत के गणतंत्र दिवस में हिस्सा लेने वाले पहले फिलीपींस के नेता होंगे।----------------------------- 


*गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्वारा लाल किले पर झंडा फहराया जाता है।इस अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों द्वारा   उनके संस्कृति और सभ्यता का प्रदर्शन किया जाता है।
* भारत का राष्ट्रगान   जण-गण -मण   भारत के  प्रसिद्ध कवि प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता  रवींद्रनाथ  द्वारा  लिखित है।
* भारत का राष्ट्रीय गीत  वंदे मातरम  बंकिम चंद्र चटर्जी के द्वारा  रचित है।





                                            ।। राष्ट्रीय प्रतीक।।
भारत का राष्ट्रीय ध्वज-तिरंगाभारत का राष्ट्रीय गान-जन-गन-मनभारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् भारत का राष्ट्रीय चिन्ह-अशोक स्तम्भभारत का राष्ट्रीय पंचांग-शक संवतभारत का राष्ट्रीय वाक्य-सत्यमेव जयतेभारत की राष्ट्रीयता-भारतीयताभारत की राष्ट्र भाषा-हिंदीभारत की राष्ट्रीय लिपि-देव नागरीभारत के  राष्ट्र पिता-महात्मा गाँधीभारत की राष्ट्रीय  विदेश नीति -गुट निरपेक्षभारत का राष्ट्रीय पुरस्कार-भारत रत्नभारत का राष्ट्रीय सूचना पत्र -श्वेत पत्रभारत का राष्ट्रीय वृक्ष-बरगदभारत की राष्ट्रीय मुद्रा-रूपयाभारत की राष्ट्रीय  नदी-गंगाभारत का राष्ट्रीय पक्षी-मोरभारत का राष्ट्रीय पशु -बाघभारत का राष्ट्रीय फूल-कमलभारत का राष्ट्रीय फल-आमभारत की राष्ट्रीय योजना-पञ्च वर्षीय योजनाभारत का राष्ट्रीय खेल-हॉकीभारत की राष्ट्रीय मिठाई-जलेबीभारत के राष्ट्रीय पर्व-26 जनवरी (गणतंत्र दिवस), 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस), 2 अक्तूबर (गाँधी जयंती)भारत का राष्ट्रीय पकवान-खिचड़ी
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Sunday, 21 January 2018

प्रमुख श्लोक एवं स्तोत्र।।सरस्वती पूजा 2018।।



प्रमुख श्लोक एवं स्तोत्र:-
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥

भावार्थ :-जो कुन्द के फूल, चन्द्रमा, बर्फ और हार के समान श्वेत हैं, जो शुभ्र वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ उत्तम वीणा से सुशोभित हैं, जो श्वेत कमलासन पर बैठती हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देव जिनकी सदा स्तुति करते हैं और जो सब प्रकार की जड़ता हर लेती हैं, वे भगवती सरस्वती मेरा पालन करें ।



शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे । सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात् ॥


भावार्थ :-

शरत्काल में उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सब मनोरथों को देनेवाली शारदा सब सम्पत्तियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें ।


सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम् । देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना: ॥


भावार्थ :-

वाणी की अधिष्ठात्री उन देवी सरस्वती को प्रणाम करता हूँ, जिनकी कृपा से मनुष्य देवता बन जाता है ।

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं । वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् । हस्ते स्फाटिकमालिकां च दधतीं पद्मासने संस्थितां वन्दे ताम् परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् ॥



भावार्थ :-जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो सब संसार में फैले रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं, मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिकमणि की माला लिए रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और बुद्धि देनेवाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हूँ ।


पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्न: सरस्वती । प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या ॥


भावार्थ :-

बुद्धिरूपी सोने के लिए कसौटी के समान सरस्वती जी, जो केवल वचन से ही विद्धान् और मूर्खों की परीक्षा कर देती है, हमलोगों का पालन करें ।

सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने ।

विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते ॥

हे महाभाग्यवती ज्ञानरूपा कमल के समान विशाल नेत्र वाली, ज्ञानदात्री सरस्वती ! मुझको विद्या दो,मैं

आपको प्रणाम करता हूँ ।

सुरासुरसेवितपादपङ्कजा

करे विराजत्कमनीयपुस्तका ।
विरिञ्चिपत्नी कमलासनस्थिता
सरस्वती नृत्यतु वाचि मे सदा ॥

Sura-Asura-Sevita-Paada-Pangkajaa

Kare Viraajat-Kamaniiya-Pustakaa |
Virin.ci-Patnii Kamala-[A]asana-Sthitaa
Sarasvatii Nrtyatu Vaaci Me Sadaa ||

Meaning:

(Salutations to Devi Saraswati) Whose Lotus Feet is Served by the Devas and Asuras,
On Her Hand Shines a Beautiful Book,
Who is the Consort of Lord Brahma and Abides on a Lotus Seat,
O Devi Saraswati, Please Dance on my Speech, always.


सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।

विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ।।
Sarasvati Namastubhyam Varade Kaama-Ruupinni |
Vidya[a-A]arambham Karissyaami Siddhir-Bhavatu Me Sadaa ||

Meaning:

Salutations to Devi Saraswati, Who is the Giver of Boons and Fulfiller of Wishes,
O Devi, When I Begin my Studies, Please Bestow on me the capacity of Right Understanding, always.

सरस्वति नमस्तुभ्यं सर्वदेवि नमो नमः ।

शान्तरूपे शशिधरे सर्वयोगे नमो नमः ।।
Sarasvati Namastubhyam Sarva-Devi Namo Namah |
Shaanta-Ruupe Shashi-Dhare Sarva-Yoge Namo Namah ।।



Meaning:

Salutations to Devi Saraswati, Who is the Embodiment of All Goddesses;Salutations, Salutationsto Her.
Who has a Tranquil Form, Who Wears the Moon and Who is the Embodiment of All Yogas; Salutations,Salutations to Her.

नित्यानन्दे निराधारे निष्कलायै नमो नमः ।

विद्याधरे विशालाक्षि शूद्धज्ञाने नमो नमः ।।

Nitya-[A]anande Nira-[A]adhaare Nisskalaayai Namo Namah |

Vidyaa-Dhare Vishaala-Akssi Shuuddha Jnyaane Namo Namah ||

Who is Eternal Bliss,without any Support (i.e. Independent), and without any Division (i.e. Whole and Complete); Salutations, Salutations to Her.

Who is the Supporter of All Knowledge, Who has Large Eyes and Who is the Embodiment of Pure Knowledge;Salutations, Salutations to Her.

शुद्धस्फटिकरूपायै सूक्ष्मरूपे नमो नमः ।

शब्दब्रह्मि चतुर्हस्ते सर्वसिद्ध्यै नमो नमः ।।

Shuddha-Sphattika-Ruupaayai Suukssma-Ruupe Namo Namah |

Shabdabrahmi Catur-Haste Sarva-Siddhyai Namo Namah ||

Meaning:

Who is Pure like a Crystal and Whose Nature is extremely Subtle; Salutations,Salutations to Her.
Who is the Embodiment of Sabda Brahman, Who has Four Hands and Who is the Embodiment of All Siddhis Salutations, Salutations to Her.

मुक्तालङ्कृतसर्वाङ्ग्यै मूलाधारे नमो नमः ।

मूलमन्त्रस्वरूपायै मूलशक्त्यै नमो नमः ॥९॥
Mukta-Alangkrta-Sarva-Anggyai Muula-[A]adhaare Namo Namah |
Muula-Mantra-Svaruupaayai Muula-Shaktyai Namo Namah ||

Meaning:

Whose Whole Body is Decorated with Ornaments of Pearls, and Who is the Basis Supporting the whole existence; Salutations, Salutations to Her.
Who is the Basis of All Mantras and Who is the Basisof All Shaktis (Power);Salutations, Salutations to Her.

मनो मणिमहायोगे वागीश्वरि नमो नमः ।

वाग्भ्यै वरदहस्तायै वरदायै नमो नमः ॥
Mano Manni-Mahaa-Yoge Vaag-Iishvari Namo Namah |
Vaagbhyai Varada-Hastaayai Varadaayai Namo Namah ||

Meaning:

Who is like a Jewel Shining within the Mind as the Great Yoga, and Who is the Goddess of the Speech;Salutations Salutations to Her.Who is the Source from where Speech originates, Who extends a Boon-Giving Hand and Who is the Giverof Boons; Salutations,Salutations to Her.

वेदायै वेदरूपायै वेदान्तायै नमो नमः ।

गुणदोषविवर्जिन्यै गुणदीप्त्यै नमो नमः ॥
Vedaayai Veda-Ruupaayai Vedaantaayai Namo Namah |
Gunna-Dossa-Vivarjinyai Gunna-Diiptyai Namo Namah ||

Meaning:

Who is Veda Herself (i.e. the Source of All Knowledge), Whose Form represents the Vedas, and Whose Essence is the Culmination of all Vedas contained in the Great Vedanta; Salutations,Salutationsto Her.
Whose Transcendental Essence is Free from (i.e. Beyond) Virtues and Vices, yet Whose Form Shines with all Virtues;Salutations, Salutations to Her.

सर्वज्ञाने सदानन्दे सर्वरूपे नमो नमः ।

सम्पन्नायै कुमार्यै च सर्वज्ञे नमो नमः ॥
Sarva-Jnyaane Sada-[A]anande Sarva-Ruupe Namo Namah |
Sampannaayai Kumaaryai Ca Sarvajnye Namo Namah ||

Meaning:

Who is the Essence Behind All Knowledge, Who always Radiates the Joy of Divine Bliss and Who is Present in All Forms; Salutations,Salutations to Her.
Who is Full with All Perfection, Who is ever Freshand Who is All-Knowing Salutations, Salutations to Her.

योगानार्य उमादेव्यै योगानन्दे नमो नमः ।

दिव्यज्ञान त्रिनेत्रायै दिव्यमूर्त्यै नमो नमः ॥

Yogaan-Aarya Umaadevyai Yoga-[A]anande Namo Namah |

Divya-Jnyaana Tri-Netraayai Divya-Muurtyai Namo Namah ||

अर्धचन्द्रजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नमः ।

चन्द्रादित्यजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नमः ॥

Ardha-Candra-Jattaa-Dhaari Candra-Bimbe Namo Namah |

Candra-[A]aditya-Jattaa-Dhaari Candra-Bimbe Namo Namah ||

Meaning:

Who has the Half-Moon on Her Curly Hair and Whose Beautiful Face Shines like the Reflection of the Moon;Salutations, Salutations to Her.
Who Wear the Sun and the Moon on Her Curly Hairand Whose Beautiful Face Shines like the Reflection of the Moon;Salutations, Salutations to Her.
अणुरूपे महारूपे विश्वरूपे नमो नमः ।
अणिमाद्यष्टसिद्ध्यायै आनन्दायै नमो नमः ॥
Annu-Ruupe Mahaa-Ruupe Vishva-Ruupe Namo Namah |
Annima-[A]ady-Asstta-Siddhyaayai Aanandaayai Namo Namah ||

Meaning:

Who is Present in Minute Forms and in Huge Forms, as well as in the Infinite Form of the Universe;Salutations,Salutations to Her.
Who is Accomplished in the Eight Siddhis (special powers) like Anima etc and Who Bestows Happiness to All;Salutations, Salutations to Her.

ज्ञानविज्ञानरूपायै ज्ञानमूर्ते नमो नमः ।

नानाशास्त्रस्वरूपायै नानारूपे नमो नमः ॥
Jnyaana-Vijnyaana-Ruupaayai Jnyaana-Muurte Namo Namah |
Naanaa-Shaastra-Svaruupaayai Naanaa-Ruupe Namo Namah ||

Meaning:

Who is Present in the Form of Knowledge and Intelligence, and Who Embodies Knowledge Itself;Salutations, Salutations to Her.Who is Present as the Essence behind Different Scriptures and in Different Forms;Salutations, Salutations to Her.

पद्मदा पद्मवंशा च पद्मरूपे नमो नमः ।

परमेष्ठ्यै परामूर्त्यै नमस्ते पापनाशिनि ॥

Padmadaa Padma-Vamshaa Ca Padma-Ruupe Namo Namah |

Paramesstthyai Paraa-Muurtyai Namaste Paapa-Naashini ||

Meaning:

Who is the Giver of Lotus (i.e. makes one Pure like Lotus), Who is from the Family of Lotus (i.e. Whose origin is from Purity) and Who is of the Form of Lotus(i.e. Whose form is Purity); Salutations, Salutations to Her.Who is the Highest and the Embodiment of Transcendental Nature; Salutations, Salutations to Her.

महादेव्यै महाकाल्यै महालक्ष्म्यै नमो नमः ।

ब्रह्मविष्णुशिवायै च ब्रह्मनार्यै नमो नमः ॥

Mahaa-Devyai Mahaakaalyai Mahaalakssmyai Namo Namah |

Brahma-Vissnnu-Shivaayai Ca Brahman-Aaryai Namo Namah ||

Meaning:

Who is Mahadevi (the Great Goddess), Who is Mahakali and Who is Mahalakshmi; Salutations,Salutations to Her.
Who is Brahma, Vishnu and Shiva (in essence) and Who is the most Adorable Brahman; Salutations, Salutations to Her.

कमलाकरपुष्पा च कामरूपे नमो नमः ।

कपालि कर्मदीप्तायै कर्मदायै नमो नमः ॥
Kamala-[A]akara-Pusspaa Ca Kaama-Ruupe Namo Namah |
Kapaali Karma-Diiptaayai Karma-Daayai Namo Namah ||
Meaning:
Who is the Source of Lotus (i.e. Source of Purity) and Whose Form expresses the fulfilment of Wishes; Salutations,Salutations to Her.
Who is the Receiver of Oblations, Who Shine with the Oblation of Activities and Who is also the Energybehind those Activities Salutations,Salutations to Her.

सायं प्रातः पठेन्नित्यं षण्मासात् सिद्धिरुच्यते।

चोरव्याघ्रभयं नास्ति पठतां शृण्वतामपि ॥
Saayam Praatah Patthen-Nityam Ssann-Maasaat Siddhir-Ucyate |
Cora-Vyaaghra-Bhayam Naasti Patthataam Shrnnvataam-Api ||

Meaning:

Those who Recite this Stotra Regularly in the Early Morning and Evening for Six Months with Devotion, will become Fit for Siddhi (i.e. will receive the Grace of Devi Saraswati),
Those who Recite or Listen to this Stotra will Nothave the Fear of Thieves (i.e. loss of wealth due to theft) or Tigers (i.e. attack of wild animals).

इत्थं सरस्वतीस्तोत्रम् अगस्त्यमुनिवाचकम् ।

सर्वसिद्धिकरं नॄणां सर्वपापप्रणाशणम् ॥

Ittham Sarasvatii-Stotram Agastya-Muni-Vaacakam |

Sarva-Siddhi-Karam Nrrnnaam Sarva-Paapa-Prannaashannam ||

Meaning:

Thus this Saraswati Stotram composed by Sage Agastya,
Leads to all Accomplishments and Destroys all Sins.

इति श्री अगस्त्यमुनिप्रोक्तं सरस्वतीस्तोत्रंसम्पूर्णम् ॥

Thus ends the Saraswati Stotram composed by Sage Agastya.


।।वसंत पंचमी ( सरस्वती पूजा) 2018 शुभ मुहूर्त संपूर्ण पूजन विधि, आरती एवं मंत्र।।



              वक्रतुण्ड  महाकाय  सूर्यकोटि    समप्रभ।
              निर्विघ्नं  कुरु  मे  देव  सर्वकार्येषु  सर्वदा॥"
                     ।जय मां सरस्वती।।

हर वर्ष की तरह  इस वर्ष भी  सरस्वती पूजा 2018  वसंत पंचमी 22 जनवरी  सोमवार को   पूजा समय सुबह 6:33 से 11:52 सुबह तक किया जायेगा।।

प्रमुख श्लोक एवं स्तोत्र:-
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥

भावार्थ :-जो कुन्द के फूल, चन्द्रमा, बर्फ और हार के समान श्वेत हैं, जो शुभ्र वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ उत्तम वीणा से सुशोभित हैं, जो श्वेत कमलासन पर बैठती हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देव जिनकी सदा स्तुति करते हैं और जो सब प्रकार की जड़ता हर लेती हैं, वे भगवती सरस्वती मेरा पालन करें ।



शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे । सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात् ॥


भावार्थ :-

शरत्काल में उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सब मनोरथों को देनेवाली शारदा सब सम्पत्तियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें ।


सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम् । देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना: ॥


भावार्थ :-

वाणी की अधिष्ठात्री उन देवी सरस्वती को प्रणाम करता हूँ, जिनकी कृपा से मनुष्य देवता बन जाता है ।

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं । वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् । हस्ते स्फाटिकमालिकां च दधतीं पद्मासने संस्थितां वन्दे ताम् परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् ॥



भावार्थ :-जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो सब संसार में फैले रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं, मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिकमणि की माला लिए रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और बुद्धि देनेवाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हूँ ।


पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्न: सरस्वती । प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या ॥


भावार्थ :-

बुद्धिरूपी सोने के लिए कसौटी के समान सरस्वती जी, जो केवल वचन से ही विद्धान् और मूर्खों की परीक्षा कर देती है, हमलोगों का पालन करें ।

सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने ।

विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते ॥

हे महाभाग्यवती ज्ञानरूपा कमल के समान विशाल नेत्र वाली, ज्ञानदात्री सरस्वती ! मुझको विद्या दो,मैं

आपको प्रणाम करता हूँ ।

सुरासुरसेवितपादपङ्कजा

करे विराजत्कमनीयपुस्तका ।
विरिञ्चिपत्नी कमलासनस्थिता
सरस्वती नृत्यतु वाचि मे सदा ॥

Sura-Asura-Sevita-Paada-Pangkajaa

Kare Viraajat-Kamaniiya-Pustakaa |
Virin.ci-Patnii Kamala-[A]asana-Sthitaa
Sarasvatii Nrtyatu Vaaci Me Sadaa ||

Meaning:

(Salutations to Devi Saraswati) Whose Lotus Feet is Served by the Devas and Asuras,
On Her Hand Shines a Beautiful Book,
Who is the Consort of Lord Brahma and Abides on a Lotus Seat,
O Devi Saraswati, Please Dance on my Speech, always.


सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।

विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ।।
Sarasvati Namastubhyam Varade Kaama-Ruupinni |
Vidya[a-A]arambham Karissyaami Siddhir-Bhavatu Me Sadaa ||

Meaning:

Salutations to Devi Saraswati, Who is the Giver of Boons and Fulfiller of Wishes,
O Devi, When I Begin my Studies, Please Bestow on me the capacity of Right Understanding, always.

सरस्वति नमस्तुभ्यं सर्वदेवि नमो नमः ।

शान्तरूपे शशिधरे सर्वयोगे नमो नमः ।।
Sarasvati Namastubhyam Sarva-Devi Namo Namah |
Shaanta-Ruupe Shashi-Dhare Sarva-Yoge Namo Namah ।।



Meaning:

Salutations to Devi Saraswati, Who is the Embodiment of All Goddesses;Salutations, Salutationsto Her.
Who has a Tranquil Form, Who Wears the Moon and Who is the Embodiment of All Yogas; Salutations,Salutations to Her.

नित्यानन्दे निराधारे निष्कलायै नमो नमः ।

विद्याधरे विशालाक्षि शूद्धज्ञाने नमो नमः ।।

Nitya-[A]anande Nira-[A]adhaare Nisskalaayai Namo Namah |

Vidyaa-Dhare Vishaala-Akssi Shuuddha Jnyaane Namo Namah ||

Who is Eternal Bliss,without any Support (i.e. Independent), and without any Division (i.e. Whole and Complete); Salutations, Salutations to Her.

Who is the Supporter of All Knowledge, Who has Large Eyes and Who is the Embodiment of Pure Knowledge;Salutations, Salutations to Her.

शुद्धस्फटिकरूपायै सूक्ष्मरूपे नमो नमः ।

शब्दब्रह्मि चतुर्हस्ते सर्वसिद्ध्यै नमो नमः ।।

Shuddha-Sphattika-Ruupaayai Suukssma-Ruupe Namo Namah |

Shabdabrahmi Catur-Haste Sarva-Siddhyai Namo Namah ||

Meaning:

Who is Pure like a Crystal and Whose Nature is extremely Subtle; Salutations,Salutations to Her.
Who is the Embodiment of Sabda Brahman, Who has Four Hands and Who is the Embodiment of All Siddhis Salutations, Salutations to Her.

मुक्तालङ्कृतसर्वाङ्ग्यै मूलाधारे नमो नमः ।

मूलमन्त्रस्वरूपायै मूलशक्त्यै नमो नमः ॥९॥
Mukta-Alangkrta-Sarva-Anggyai Muula-[A]adhaare Namo Namah |
Muula-Mantra-Svaruupaayai Muula-Shaktyai Namo Namah ||

Meaning:

Whose Whole Body is Decorated with Ornaments of Pearls, and Who is the Basis Supporting the whole existence; Salutations, Salutations to Her.
Who is the Basis of All Mantras and Who is the Basisof All Shaktis (Power);Salutations, Salutations to Her.

मनो मणिमहायोगे वागीश्वरि नमो नमः ।

वाग्भ्यै वरदहस्तायै वरदायै नमो नमः ॥
Mano Manni-Mahaa-Yoge Vaag-Iishvari Namo Namah |
Vaagbhyai Varada-Hastaayai Varadaayai Namo Namah ||

Meaning:

Who is like a Jewel Shining within the Mind as the Great Yoga, and Who is the Goddess of the Speech;Salutations Salutations to Her.Who is the Source from where Speech originates, Who extends a Boon-Giving Hand and Who is the Giverof Boons; Salutations,Salutations to Her.

वेदायै वेदरूपायै वेदान्तायै नमो नमः ।

गुणदोषविवर्जिन्यै गुणदीप्त्यै नमो नमः ॥
Vedaayai Veda-Ruupaayai Vedaantaayai Namo Namah |
Gunna-Dossa-Vivarjinyai Gunna-Diiptyai Namo Namah ||

Meaning:

Who is Veda Herself (i.e. the Source of All Knowledge), Whose Form represents the Vedas, and Whose Essence is the Culmination of all Vedas contained in the Great Vedanta; Salutations,Salutationsto Her.
Whose Transcendental Essence is Free from (i.e. Beyond) Virtues and Vices, yet Whose Form Shines with all Virtues;Salutations, Salutations to Her.

सर्वज्ञाने सदानन्दे सर्वरूपे नमो नमः ।

सम्पन्नायै कुमार्यै च सर्वज्ञे नमो नमः ॥
Sarva-Jnyaane Sada-[A]anande Sarva-Ruupe Namo Namah |
Sampannaayai Kumaaryai Ca Sarvajnye Namo Namah ||

Meaning:

Who is the Essence Behind All Knowledge, Who always Radiates the Joy of Divine Bliss and Who is Present in All Forms; Salutations,Salutations to Her.
Who is Full with All Perfection, Who is ever Freshand Who is All-Knowing Salutations, Salutations to Her.

योगानार्य उमादेव्यै योगानन्दे नमो नमः ।

दिव्यज्ञान त्रिनेत्रायै दिव्यमूर्त्यै नमो नमः ॥

Yogaan-Aarya Umaadevyai Yoga-[A]anande Namo Namah |

Divya-Jnyaana Tri-Netraayai Divya-Muurtyai Namo Namah ||

अर्धचन्द्रजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नमः ।

चन्द्रादित्यजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नमः ॥

Ardha-Candra-Jattaa-Dhaari Candra-Bimbe Namo Namah |

Candra-[A]aditya-Jattaa-Dhaari Candra-Bimbe Namo Namah ||

Meaning:

Who has the Half-Moon on Her Curly Hair and Whose Beautiful Face Shines like the Reflection of the Moon;Salutations, Salutations to Her.
Who Wear the Sun and the Moon on Her Curly Hairand Whose Beautiful Face Shines like the Reflection of the Moon;Salutations, Salutations to Her.








अणुरूपे महारूपे विश्वरूपे नमो नमः ।

अणिमाद्यष्टसिद्ध्यायै आनन्दायै नमो नमः ॥
Annu-Ruupe Mahaa-Ruupe Vishva-Ruupe Namo Namah |
Annima-[A]ady-Asstta-Siddhyaayai Aanandaayai Namo Namah ||

Meaning:

Who is Present in Minute Forms and in Huge Forms, as well as in the Infinite Form of the Universe;Salutations,Salutations to Her.
Who is Accomplished in the Eight Siddhis (special powers) like Anima etc and Who Bestows Happiness to All;Salutations, Salutations to Her.

ज्ञानविज्ञानरूपायै ज्ञानमूर्ते नमो नमः ।

नानाशास्त्रस्वरूपायै नानारूपे नमो नमः ॥
Jnyaana-Vijnyaana-Ruupaayai Jnyaana-Muurte Namo Namah |
Naanaa-Shaastra-Svaruupaayai Naanaa-Ruupe Namo Namah ||

Meaning:

Who is Present in the Form of Knowledge and Intelligence, and Who Embodies Knowledge Itself;Salutations, Salutations to Her.Who is Present as the Essence behind Different Scriptures and in Different Forms;Salutations, Salutations to Her.

पद्मदा पद्मवंशा च पद्मरूपे नमो नमः ।

परमेष्ठ्यै परामूर्त्यै नमस्ते पापनाशिनि ॥

Padmadaa Padma-Vamshaa Ca Padma-Ruupe Namo Namah |

Paramesstthyai Paraa-Muurtyai Namaste Paapa-Naashini ||

Meaning:

Who is the Giver of Lotus (i.e. makes one Pure like Lotus), Who is from the Family of Lotus (i.e. Whose origin is from Purity) and Who is of the Form of Lotus(i.e. Whose form is Purity); Salutations, Salutations to Her.Who is the Highest and the Embodiment of Transcendental Nature; Salutations, Salutations to Her.

महादेव्यै महाकाल्यै महालक्ष्म्यै नमो नमः ।

ब्रह्मविष्णुशिवायै च ब्रह्मनार्यै नमो नमः ॥

Mahaa-Devyai Mahaakaalyai Mahaalakssmyai Namo Namah |

Brahma-Vissnnu-Shivaayai Ca Brahman-Aaryai Namo Namah ||

Meaning:

Who is Mahadevi (the Great Goddess), Who is Mahakali and Who is Mahalakshmi; Salutations,Salutations to Her.
Who is Brahma, Vishnu and Shiva (in essence) and Who is the most Adorable Brahman; Salutations, Salutations to Her.


कमलाकरपुष्पा च कामरूपे नमो नमः ।

कपालि कर्मदीप्तायै कर्मदायै नमो नमः ॥

Kamala-[A]akara-Pusspaa Ca Kaama-Ruupe Namo Namah |

Kapaali Karma-Diiptaayai Karma-Daayai Namo Namah ||

Meaning:

Who is the Source of Lotus (i.e. Source of Purity) and Whose Form expresses the fulfilment of Wishes; Salutations,Salutations to Her.
Who is the Receiver of Oblations, Who Shine with the Oblation of Activities and Who is also the Energybehind those Activities Salutations,Salutations to Her.



सायं प्रातः पठेन्नित्यं षण्मासात् सिद्धिरुच्यते।

चोरव्याघ्रभयं नास्ति पठतां शृण्वतामपि ॥
Saayam Praatah Patthen-Nityam Ssann-Maasaat Siddhir-Ucyate |
Cora-Vyaaghra-Bhayam Naasti Patthataam Shrnnvataam-Api ||

Meaning:

Those who Recite this Stotra Regularly in the Early Morning and Evening for Six Months with Devotion, will become Fit for Siddhi (i.e. will receive the Grace of Devi Saraswati),
Those who Recite or Listen to this Stotra will Nothave the Fear of Thieves (i.e. loss of wealth due to theft) or Tigers (i.e. attack of wild animals).


इत्थं सरस्वतीस्तोत्रम् अगस्त्यमुनिवाचकम् ।

सर्वसिद्धिकरं नॄणां सर्वपापप्रणाशणम् ॥

Ittham Sarasvatii-Stotram Agastya-Muni-Vaacakam |

Sarva-Siddhi-Karam Nrrnnaam Sarva-Paapa-Prannaashannam ||

Meaning:

Thus this Saraswati Stotram composed by Sage Agastya,
Leads to all Accomplishments and Destroys all Sins.


इति श्री अगस्त्यमुनिप्रोक्तं सरस्वतीस्तोत्रंसम्पूर्णम् ॥

Thus ends the Saraswati Stotram composed by Sage Agastya.

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पूजन विधि :-


सरस्वती पूजा    के दिन  स्नानादि करने के बाद  नीचे लिखें विधि द्वारा  विधि एवं मंत्र द्वारा  श्रद्धा पूर्वक पूजन करें   साथ ही मंत्र का उच्चारण  स्पष्ट रुप से करें
पूजन विधि नीचे दिया गया है:-

सबसे पहले मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप और अगरबत्ती जलाए। इसके बाद पूजन आरंभ करे। सबसे पहले   स्वयं तथा आसन को इस मंत्र से शुद्घ करें- 

ऊं अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥


इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुश या पुष्प एवं अक्षत से छींटें लगायें फिर   निम्न मंत्रों से आचमन करें –


ऊं केशवाय नम: ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, फिर हाथ  को धोले   पुण: आसन शुद्धि मंत्र  उच्चारण करें  - ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ 

शुद्धि और आचमन के बाद चंदन लगाना चाहिए। अनामिका उंगली से  चंदन लगाते हुए यह मंत्र बोलें चन्‍दनस्‍य महत्‍पुण्‍यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्‍यम् लक्ष्‍मी तिष्‍ठतु सर्वदा।

कोई भी  पूजा    बिना संकल्प लिए हुए  इसलिए संकल्प करें। हाथ में तिल, फूल, अक्षत मिठाई और फल लेकर  निम्न मंत्र का उच्चारण करें-यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये|

इस मंत्र को  उच्चारण  करते हुए हाथ में रखी हुई सामग्री मां सरस्वती के सामने रख दें। इसके बाद गणपति जी की पूजा करें।गणपति पूजनहाथ में फूल लेकर गणपति का ध्यान करें। 
फिर निम्न मंत्र  का उच्चारण करें- गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। 
उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। 

हाथ में अक्षत लेकर गणपति का निम्न आवाहन करें:-


ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।।





इतना कहकर पात्र में अक्षत छोड़ें।अर्घा में जल  लेकर  निम्न  मंत्र का उच्चारण करें:- 

एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:। 

रक्त चंदन  लगाते वक्त  निम्न मंत्र का उच्चारण करें:-


इदम रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:




इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाते  वक्त  निम्न मंत्र का उच्चारण करें

इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:।
दुर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं। गणेश जी को वस्त्र पहनाएं। 
इदं पीत वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि।

पूजन के बाद गणेश जी को प्रसाद अर्पित करें: 


इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि।

मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र:
इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें।

इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:। 

इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें: 
इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। 

अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें:

एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:इसी प्रकार से नवग्रहों की पूजा करें। 

गणेश के स्थान पर नवग्रह का नाम लें। कलश पूजनघड़े या लोटे पर मोली बांधकर कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें। कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत, मुद्रा रखें। 

कलश के गले में मोली लपेटें।  



नारियल पर वस्त्र लपेट कर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरूण देवता का कलश में आह्वान  निम्न मंत्रों द्वारा करें। 

ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। 
अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। 'अस्मिन कलशे वरुणं सांगं सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥'

इसके बाद जिस प्रकार गणेश जी की पूजा की है उसी प्रकार वरूण और इन्द्र देवता की पूजा करें। 

सरस्वती पूजन सबसे पहले माता सरस्वती का ध्यान  निम्न मंत्रों द्वारा करें:-

या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।।या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ।।1।।शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं ।वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् ।वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।2।।


इसके बाद सरस्वती देवी की प्रतिष्ठा करें। हाथ में अक्षत लेकर  निम्न मंत्र उच्चारण करें और  बोलें 

“ॐ भूर्भुवः स्वः महासरस्वती, इहागच्छ इह तिष्ठ। इस मंत्र को बोलकर अक्षर छोड़ें।

इसके बाद जल लेकर  निम्न मंत्र का उच्चारण करें:-

'एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ श्री सरस्वतयै नमः।। इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, सरस्वतयै नमो नमः।। ॐ सरस्वतयै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।

इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं। 
अब सरस्वती देवी को इदं पीत वस्त्र समर्पयामि कहकर पीला वस्त्र पहनाएं।

नैवैद्य अर्पणपूजन के पश्चात देवी को 'इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं सरस्वतयै समर्पयामि' 
मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें।  मिष्ठान अर्पित करने के लिए मंत्र:
"इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि"  मंत्र का उच्चारण करें। 
प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनयं  ऊं सरस्वतयै नम:। 

इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें: 
इदं ताम्बूल  पुंगीफल समायुक्तं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि। 
अब एक फूल लेकर सरस्वती देवी पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं सरस्वतयै नम:। इसके बाद एक फूल लेकर उसमें चंदन और अक्षत लगाकर  पुस्तक एवं कॉपी पर रख दें। 
पूजन के पश्चात् सरस्वती माता के नाम से हवन करें। इसके लिए भूमि को स्वच्छ करके एक हवन कुण्ड बनाएं। आम की  लकड़ी का अग्नि प्रज्वलित करें। हवन में सर्वप्रथम
'ऊं गं गणपतये नम:' स्वाहा मंत्र से गणेश जी एवं 'ऊं नवग्रह नमः' स्वाहा मंत्र से नवग्रह का हवन करें, तत्पश्चात् सरस्वती माता के  मंत्र
'ॐ सरस्वतयै नमः स्वहा' से 108 बार हवन करें। उसके पश्चात  हवन का भभूत माथे पर लगाएं। श्रद्धापूर्वक स्वयं प्रसाद ग्रहण करें इसके बाद सभी को   वितरित करें।

आरती :-

और उसके बाद  संध्या के समय  पान के पत्ते पर  कर्पूर एवं घी के दिए  से  मां सरस्वती का आरती वंदन करे ।  आरती के लिए  नीचे दिए गए  आरती भी गा सकते हैं:-

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती माता॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।

सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
जय सरस्वती माता॥
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥

जय सरस्वती माता॥
जय सरस्वती माता॥
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
जय सरस्वती माता॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो॥
जय सरस्वती माता॥
धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो।

ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥
जय सरस्वती माता॥
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी सुखकारी ज्ञान भक्ति पावे॥
जय सरस्वती माता॥
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती  माता ।।

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Saturday, 20 January 2018

।।वसंत पंचमी ( सरस्वती पूजा) 2019 शुभ मुहूर्त संपूर्ण पूजन विधि, आरती एवं मंत्र।।


              वक्रतुण्ड  महाकाय  सूर्यकोटि    समप्रभ।
              निर्विघ्नं  कुरु  मे  देव  सर्वकार्येषु  सर्वदा॥"
                     ।जय मां सरस्वती।।

हर वर्ष की तरह  इस वर्ष भी  
Vasant Panchami 10 February 2019 Ko manana Jayega

बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त:morning 6.40 AM to Afternoon 12.12PM 

पंचमी तिथि प्रारंभ:मघ शुक्ल पंचमी शनिवार 9 फरवरी की दोपहर 12.25 बजे से शुरू«  

पंचमी तिथि समाप्त: रविवार 10 फरवरी को दोपहर 2.08 बजे तक "»

प्रमुख श्लोक एवं स्तोत्र:-
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥

भावार्थ :-जो कुन्द के फूल, चन्द्रमा, बर्फ और हार के समान श्वेत हैं, जो शुभ्र वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ उत्तम वीणा से सुशोभित हैं, जो श्वेत कमलासन पर बैठती हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देव जिनकी सदा स्तुति करते हैं और जो सब प्रकार की जड़ता हर लेती हैं, वे भगवती सरस्वती मेरा पालन करें ।


शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे । सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात् ॥

भावार्थ :-
शरत्काल में उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सब मनोरथों को देनेवाली शारदा सब सम्पत्तियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें ।


सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम् । देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना: ॥

भावार्थ :-
वाणी की अधिष्ठात्री उन देवी सरस्वती को प्रणाम करता हूँ, जिनकी कृपा से मनुष्य देवता बन जाता है ।

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं । वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् । हस्ते स्फाटिकमालिकां च दधतीं पद्मासने संस्थितां वन्दे ताम् परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् ॥


भावार्थ :-जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो सब संसार में फैले रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं, मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिकमणि की माला लिए रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और बुद्धि देनेवाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हूँ ।

पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्न: सरस्वती । प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या ॥

भावार्थ :-
बुद्धिरूपी सोने के लिए कसौटी के समान सरस्वती जी, जो केवल वचन से ही विद्धान् और मूर्खों की परीक्षा कर देती है, हमलोगों का पालन करें ।

सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने ।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते ॥

हे महाभाग्यवती ज्ञानरूपा कमल के समान विशाल नेत्र वाली, ज्ञानदात्री सरस्वती ! मुझको विद्या दो,मैं
आपको प्रणाम करता हूँ ।

सुरासुरसेवितपादपङ्कजा
करे विराजत्कमनीयपुस्तका ।
विरिञ्चिपत्नी कमलासनस्थिता
सरस्वती नृत्यतु वाचि मे सदा ॥

Sura-Asura-Sevita-Paada-Pangkajaa
Kare Viraajat-Kamaniiya-Pustakaa |
Virin.ci-Patnii Kamala-[A]asana-Sthitaa
Sarasvatii Nrtyatu Vaaci Me Sadaa ||

Meaning:
(Salutations to Devi Saraswati) Whose Lotus Feet is Served by the Devas and Asuras,
On Her Hand Shines a Beautiful Book,
Who is the Consort of Lord Brahma and Abides on a Lotus Seat,
O Devi Saraswati, Please Dance on my Speech, always.


सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ।।
Sarasvati Namastubhyam Varade Kaama-Ruupinni |
Vidya[a-A]arambham Karissyaami Siddhir-Bhavatu Me Sadaa ||

Meaning:
Salutations to Devi Saraswati, Who is the Giver of Boons and Fulfiller of Wishes,
O Devi, When I Begin my Studies, Please Bestow on me the capacity of Right Understanding, always.

सरस्वति नमस्तुभ्यं सर्वदेवि नमो नमः ।
शान्तरूपे शशिधरे सर्वयोगे नमो नमः ।।
Sarasvati Namastubhyam Sarva-Devi Namo Namah |
Shaanta-Ruupe Shashi-Dhare Sarva-Yoge Namo Namah ।।


Meaning:
Salutations to Devi Saraswati, Who is the Embodiment of All Goddesses;Salutations, Salutationsto Her.
Who has a Tranquil Form, Who Wears the Moon and Who is the Embodiment of All Yogas; Salutations,Salutations to Her.

नित्यानन्दे निराधारे निष्कलायै नमो नमः ।
विद्याधरे विशालाक्षि शूद्धज्ञाने नमो नमः ।।

Nitya-[A]anande Nira-[A]adhaare Nisskalaayai Namo Namah |
Vidyaa-Dhare Vishaala-Akssi Shuuddha Jnyaane Namo Namah ||

Who is Eternal Bliss,without any Support (i.e. Independent), and without any Division (i.e. Whole and Complete); Salutations, Salutations to Her.
Who is the Supporter of All Knowledge, Who has Large Eyes and Who is the Embodiment of Pure Knowledge;Salutations, Salutations to Her.

शुद्धस्फटिकरूपायै सूक्ष्मरूपे नमो नमः ।
शब्दब्रह्मि चतुर्हस्ते सर्वसिद्ध्यै नमो नमः ।।

Shuddha-Sphattika-Ruupaayai Suukssma-Ruupe Namo Namah |
Shabdabrahmi Catur-Haste Sarva-Siddhyai Namo Namah ||

Meaning:
Who is Pure like a Crystal and Whose Nature is extremely Subtle; Salutations,Salutations to Her.
Who is the Embodiment of Sabda Brahman, Who has Four Hands and Who is the Embodiment of All Siddhis Salutations, Salutations to Her.

मुक्तालङ्कृतसर्वाङ्ग्यै मूलाधारे नमो नमः ।
मूलमन्त्रस्वरूपायै मूलशक्त्यै नमो नमः ॥९॥
Mukta-Alangkrta-Sarva-Anggyai Muula-[A]adhaare Namo Namah |
Muula-Mantra-Svaruupaayai Muula-Shaktyai Namo Namah ||

Meaning:
Whose Whole Body is Decorated with Ornaments of Pearls, and Who is the Basis Supporting the whole existence; Salutations, Salutations to Her.
Who is the Basis of All Mantras and Who is the Basisof All Shaktis (Power);Salutations, Salutations to Her.

मनो मणिमहायोगे वागीश्वरि नमो नमः ।
वाग्भ्यै वरदहस्तायै वरदायै नमो नमः ॥
Mano Manni-Mahaa-Yoge Vaag-Iishvari Namo Namah |
Vaagbhyai Varada-Hastaayai Varadaayai Namo Namah ||

Meaning:
Who is like a Jewel Shining within the Mind as the Great Yoga, and Who is the Goddess of the Speech;Salutations Salutations to Her.Who is the Source from where Speech originates, Who extends a Boon-Giving Hand and Who is the Giverof Boons; Salutations,Salutations to Her.

वेदायै वेदरूपायै वेदान्तायै नमो नमः ।
गुणदोषविवर्जिन्यै गुणदीप्त्यै नमो नमः ॥
Vedaayai Veda-Ruupaayai Vedaantaayai Namo Namah |
Gunna-Dossa-Vivarjinyai Gunna-Diiptyai Namo Namah ||

Meaning:
Who is Veda Herself (i.e. the Source of All Knowledge), Whose Form represents the Vedas, and Whose Essence is the Culmination of all Vedas contained in the Great Vedanta; Salutations,Salutationsto Her.
Whose Transcendental Essence is Free from (i.e. Beyond) Virtues and Vices, yet Whose Form Shines with all Virtues;Salutations, Salutations to Her.

सर्वज्ञाने सदानन्दे सर्वरूपे नमो नमः ।
सम्पन्नायै कुमार्यै च सर्वज्ञे नमो नमः ॥
Sarva-Jnyaane Sada-[A]anande Sarva-Ruupe Namo Namah |
Sampannaayai Kumaaryai Ca Sarvajnye Namo Namah ||

Meaning:
Who is the Essence Behind All Knowledge, Who always Radiates the Joy of Divine Bliss and Who is Present in All Forms; Salutations,Salutations to Her.
Who is Full with All Perfection, Who is ever Freshand Who is All-Knowing Salutations, Salutations to Her.

योगानार्य उमादेव्यै योगानन्दे नमो नमः ।
दिव्यज्ञान त्रिनेत्रायै दिव्यमूर्त्यै नमो नमः ॥

Yogaan-Aarya Umaadevyai Yoga-[A]anande Namo Namah |
Divya-Jnyaana Tri-Netraayai Divya-Muurtyai Namo Namah ||

अर्धचन्द्रजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नमः ।
चन्द्रादित्यजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नमः ॥

Ardha-Candra-Jattaa-Dhaari Candra-Bimbe Namo Namah |
Candra-[A]aditya-Jattaa-Dhaari Candra-Bimbe Namo Namah ||

Meaning:
Who has the Half-Moon on Her Curly Hair and Whose Beautiful Face Shines like the Reflection of the Moon;Salutations, Salutations to Her.
Who Wear the Sun and the Moon on Her Curly Hairand Whose Beautiful Face Shines like the Reflection of the Moon;Salutations, Salutations to Her.








अणुरूपे महारूपे विश्वरूपे नमो नमः ।
अणिमाद्यष्टसिद्ध्यायै आनन्दायै नमो नमः ॥
Annu-Ruupe Mahaa-Ruupe Vishva-Ruupe Namo Namah |
Annima-[A]ady-Asstta-Siddhyaayai Aanandaayai Namo Namah ||

Meaning:
Who is Present in Minute Forms and in Huge Forms, as well as in the Infinite Form of the Universe;Salutations,Salutations to Her.
Who is Accomplished in the Eight Siddhis (special powers) like Anima etc and Who Bestows Happiness to All;Salutations, Salutations to Her.

ज्ञानविज्ञानरूपायै ज्ञानमूर्ते नमो नमः ।
नानाशास्त्रस्वरूपायै नानारूपे नमो नमः ॥
Jnyaana-Vijnyaana-Ruupaayai Jnyaana-Muurte Namo Namah |
Naanaa-Shaastra-Svaruupaayai Naanaa-Ruupe Namo Namah ||

Meaning:
Who is Present in the Form of Knowledge and Intelligence, and Who Embodies Knowledge Itself;Salutations, Salutations to Her.Who is Present as the Essence behind Different Scriptures and in Different Forms;Salutations, Salutations to Her.

पद्मदा पद्मवंशा च पद्मरूपे नमो नमः ।
परमेष्ठ्यै परामूर्त्यै नमस्ते पापनाशिनि ॥

Padmadaa Padma-Vamshaa Ca Padma-Ruupe Namo Namah |
Paramesstthyai Paraa-Muurtyai Namaste Paapa-Naashini ||

Meaning:
Who is the Giver of Lotus (i.e. makes one Pure like Lotus), Who is from the Family of Lotus (i.e. Whose origin is from Purity) and Who is of the Form of Lotus(i.e. Whose form is Purity); Salutations, Salutations to Her.Who is the Highest and the Embodiment of Transcendental Nature; Salutations, Salutations to Her.

महादेव्यै महाकाल्यै महालक्ष्म्यै नमो नमः ।
ब्रह्मविष्णुशिवायै च ब्रह्मनार्यै नमो नमः ॥

Mahaa-Devyai Mahaakaalyai Mahaalakssmyai Namo Namah |
Brahma-Vissnnu-Shivaayai Ca Brahman-Aaryai Namo Namah ||

Meaning:
Who is Mahadevi (the Great Goddess), Who is Mahakali and Who is Mahalakshmi; Salutations,Salutations to Her.
Who is Brahma, Vishnu and Shiva (in essence) and Who is the most Adorable Brahman; Salutations, Salutations to Her.


कमलाकरपुष्पा च कामरूपे नमो नमः ।
कपालि कर्मदीप्तायै कर्मदायै नमो नमः ॥

Kamala-[A]akara-Pusspaa Ca Kaama-Ruupe Namo Namah |
Kapaali Karma-Diiptaayai Karma-Daayai Namo Namah ||

Meaning:
Who is the Source of Lotus (i.e. Source of Purity) and Whose Form expresses the fulfilment of Wishes; Salutations,Salutations to Her.
Who is the Receiver of Oblations, Who Shine with the Oblation 
of Activities and Who is also the Energybehind those Activities Salutations,Salutations to Her.



सायं प्रातः पठेन्नित्यं षण्मासात् सिद्धिरुच्यते।
चोरव्याघ्रभयं नास्ति पठतां शृण्वतामपि ॥
Saayam Praatah Patthen-Nityam Ssann-Maasaat Siddhir-Ucyate |
Cora-Vyaaghra-Bhayam Naasti Patthataam Shrnnvataam-Api ||

Meaning:
Those who Recite this Stotra Regularly in the Early Morning and Evening for Six Months with Devotion, will become Fit for Siddhi (i.e. will receive the Grace of Devi Saraswati),
Those who Recite or Listen to this Stotra will Nothave the Fear of Thieves (i.e. loss of wealth due to theft) or Tigers (i.e. attack of wild animals).


इत्थं सरस्वतीस्तोत्रम् अगस्त्यमुनिवाचकम् ।
सर्वसिद्धिकरं नॄणां सर्वपापप्रणाशणम् ॥

Ittham Sarasvatii-Stotram Agastya-Muni-Vaacakam |
Sarva-Siddhi-Karam Nrrnnaam Sarva-Paapa-Prannaashannam ||

Meaning:
Thus this Saraswati Stotram composed by Sage Agastya,
Leads to all Accomplishments and Destroys all Sins.


इति श्री अगस्त्यमुनिप्रोक्तं सरस्वतीस्तोत्रंसम्पूर्णम् ॥
Thus ends the Saraswati Stotram composed by Sage Agastya.

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पूजन विधि :-


सरस्वती पूजा    के दिन  स्नानादि करने के बाद  नीचे लिखें विधि द्वारा  विधि एवं मंत्र द्वारा  श्रद्धा पूर्वक पूजन करें   साथ ही मंत्र का उच्चारण  स्पष्ट रुप से करें
पूजन विधि नीचे दिया गया है:-

सबसे पहले मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप और अगरबत्ती जलाए। इसके बाद पूजन आरंभ करे। सबसे पहले   स्वयं तथा आसन को इस मंत्र से शुद्घ करें- 

ऊं अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥


इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुश या पुष्प एवं अक्षत से छींटें लगायें फिर   निम्न मंत्रों से आचमन करें –

ऊं केशवाय नम: ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, फिर हाथ  को धोले   पुण: आसन शुद्धि मंत्र  उच्चारण करें  - ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ 
शुद्धि और आचमन के बाद चंदन लगाना चाहिए। अनामिका उंगली से  चंदन लगाते हुए यह मंत्र बोलें चन्‍दनस्‍य महत्‍पुण्‍यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्‍यम् लक्ष्‍मी तिष्‍ठतु सर्वदा।

कोई भी  पूजा    बिना संकल्प लिए हुए  इसलिए संकल्प करें। हाथ में तिल, फूल, अक्षत मिठाई और फल लेकर  निम्न मंत्र का उच्चारण करें-यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये|
इस मंत्र को  उच्चारण  करते हुए हाथ में रखी हुई सामग्री मां सरस्वती के सामने रख दें। इसके बाद गणपति जी की पूजा करें।गणपति पूजनहाथ में फूल लेकर गणपति का ध्यान करें। 
फिर निम्न मंत्र  का उच्चारण करें- गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। 
उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। 

हाथ में अक्षत लेकर गणपति का निम्न आवाहन करें:-

ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।।





इतना कहकर पात्र में अक्षत छोड़ें।अर्घा में जल  लेकर  निम्न  मंत्र का उच्चारण करें:- 

एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:। 

रक्त चंदन  लगाते वक्त  निम्न मंत्र का उच्चारण करें:-

इदम रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:




इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाते  वक्त  निम्न मंत्र का उच्चारण करें

इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:।
दुर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं। गणेश जी को वस्त्र पहनाएं। 
इदं पीत वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि।

पूजन के बाद गणेश जी को प्रसाद अर्पित करें: 

इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि।

मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र:

इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें।

इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:। 

इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें: 
इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। 

अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें:

एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:इसी प्रकार से नवग्रहों की पूजा करें। 

गणेश के स्थान पर नवग्रह का नाम लें। कलश पूजनघड़े या लोटे पर मोली बांधकर कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें। कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत, मुद्रा रखें। 

कलश के गले में मोली लपेटें।  






नारियल पर वस्त्र लपेट कर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरूण देवता का कलश में आह्वान  निम्न मंत्रों द्वारा करें। 

ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। 
अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। 'अस्मिन कलशे वरुणं सांगं सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥'

इसके बाद जिस प्रकार गणेश जी की पूजा की है उसी प्रकार वरूण और इन्द्र देवता की पूजा करें। 

सरस्वती पूजन सबसे पहले माता सरस्वती का ध्यान  निम्न मंत्रों द्वारा करें:-

या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।।या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ।।1।।शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं ।वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् ।वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।2।।


इसके बाद सरस्वती देवी की प्रतिष्ठा करें। हाथ में अक्षत लेकर  निम्न मंत्र उच्चारण करें और  बोलें 

“ॐ भूर्भुवः स्वः महासरस्वती, इहागच्छ इह तिष्ठ। इस मंत्र को बोलकर अक्षर छोड़ें।

इसके बाद जल लेकर  निम्न मंत्र का उच्चारण करें:-

'एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ श्री सरस्वतयै नमः।। इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, सरस्वतयै नमो नमः।। ॐ सरस्वतयै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।

इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं। 
अब सरस्वती देवी को इदं पीत वस्त्र समर्पयामि कहकर पीला वस्त्र पहनाएं।

नैवैद्य अर्पणपूजन के पश्चात देवी को 'इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं सरस्वतयै समर्पयामि' 
मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें।  मिष्ठान अर्पित करने के लिए मंत्र:
"इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि"  मंत्र का उच्चारण करें। 
प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनयं  ऊं सरस्वतयै नम:। 

इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें: 
इदं ताम्बूल  पुंगीफल समायुक्तं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि। 
अब एक फूल लेकर सरस्वती देवी पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं सरस्वतयै नम:। इसके बाद एक फूल लेकर उसमें चंदन और अक्षत लगाकर  पुस्तक एवं कॉपी पर रख दें। 
पूजन के पश्चात् सरस्वती माता के नाम से हवन करें। इसके लिए भूमि को स्वच्छ करके एक हवन कुण्ड बनाएं। आम की  लकड़ी का अग्नि प्रज्वलित करें। हवन में सर्वप्रथम
'ऊं गं गणपतये नम:' स्वाहा मंत्र से गणेश जी एवं 'ऊं नवग्रह नमः' स्वाहा मंत्र से नवग्रह का हवन करें, तत्पश्चात् सरस्वती माता के  मंत्र
'ॐ सरस्वतयै नमः स्वहा' से 108 बार हवन करें। उसके पश्चात  हवन का भभूत माथे पर लगाएं। श्रद्धापूर्वक स्वयं प्रसाद ग्रहण करें इसके बाद सभी को   वितरित करें।

आरती :-

और उसके बाद  संध्या के समय  पान के पत्ते पर  कर्पूर एवं घी के दिए  से  मां सरस्वती का आरती वंदन करे ।  आरती के लिए  नीचे दिए गए  आरती भी गा सकते हैं:-

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती माता॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।

सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
जय सरस्वती माता॥
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥

जय सरस्वती माता॥
जय सरस्वती माता॥
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
जय सरस्वती माता॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो॥
जय सरस्वती माता॥
धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो।

ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥
जय सरस्वती माता॥
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी सुखकारी ज्ञान भक्ति पावे॥
जय सरस्वती माता॥
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती  माता ।।



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