बिहार में संक्रांति काफी लोकप्रिय पर्व माना जाता है। कुछ लोग इसे तिल संक्रांति भी कहते हैं। बिहार में यह पर्व दही चूड़ा लाइ व तिलकुट के लिए प्रसिद्ध होता है।
कुछ जगह पर पतंग उड़ाई जाते हैं।
कुछ जगह लोग गंगा स्नान भी करने जाते हैं। साथ ही यह काफी धार्मिक पर्व माना जाता है। और आज के दिन दान पुण्य का दिन भी माना जाता है।
इस दिन लोग तिल से बने तिलकुट खाना नहीं भूलते।
गांव मे तिलकुट बनाने का काम एवं लाई बनाने का काम 15 रोज पहलेे से ही शुरू कर देते हैं।
गांव में बना बनाया लाइ भी प्राप्त हो जाता है। और घरों में चुरा का लाइ मूड़ी का लाइ भी बनाया जाता है। बिहार में चावल के पीसे हुए आटे से कसार भी बनाए जाते हैं।
संक्रांति के दिन । मां अपने बेटे एवं पोते सी तिलकुट खाने को कहती है। साथ ही बेटे पोते के द्वारा बह भरने को भी कहा जाता है। अर्थात बेटे को जिम्मेवारी निभाने को कहां जाता है।
कुछ जगह मकर संक्रांति को ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। साथ ही दान भी किया जाता है। बिहार में यह पर्व व्यंजनों का पर्व भी माना जाता है।
क्योंकि इस दिन बहुत तरह की सब्जी एवं व्यंजन बनाए जाते हैं। और दही चूड़ा तो अवश्य ही खाए जाते हैं।
संध्या के समय सभी के घर पर अथवा सार्वजनिक तौर पर खिचड़ी बनाए जाते हैं।
यह खिचड़ी प्रसाद के रूप में बनाया जाता है। तथा इसे देवताओं को भी चढ़ाया जाता है। या खिचड़ी काफी स्पेशल होता है। तथा कई तरह की हरी सब्जियां का प्रयोग भी किया जाता है। जैसे मटर आलू उड़द का दाल अरवा चावल एवं धनिया पत्ता साथ ही अन्य बहुत तरह के मिश्रण करके खिचड़ी बनाए जाते हैं।
यह दिन थोड़ा आलसी भी माना जाता है। क्योंकि बिहार में दही चुरा काफी लोकप्रिय होता है। लोग दही चुरा पेट भर भर कर खा लेते हैं। वह यह भी नहीं देखते की चूरा बढ़िया से फुुला है कि नहीं। और परिणाम स्वरुप दही चुरा पेट में ही फूलना शुरू हो जाता है। कुछ लोग तो इतना दही-चूड़ा खा लेते हैं। की उल्टी करने लगते हैं।
अब भाई साहब को कौन समझाए । आप सभी बंधुओं से निवेदन है। की 2018 के संक्रांति में थोड़ा संयम बनाकर रखें। दही चुरा खाने का यदि ज्यादा मन हो। तो कृपया दो तीन बार में खाएं।
अब ऊपर वाली बात मे थोड़ी हंसी भी आती होगी।
सब कुछ होते हुए भी इस बार का मकर संक्रांति मजेदार ना होगा खासकर सुप्रीमो लालू प्रसाद द्वारा मकर संक्रांति बड़ी धूमधाम से मनाई जाती थी। हर साल कई राजनेताओं के बीच लालू प्रसाद यादव मकर संक्रांति में दही चुरा भोज का आयोजन करते थे। पर इस बार हमें बहुत ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है। कि इस बार का मकर संक्रांति लालू प्रसाद यादव के घर शायद धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा। क्योंकि उन्हें साढ़े तीन साल का जेल का सजा सुनाया गया है।
ऐसे लालू यादव दही चूड़ा को बहुत पसंद करते हैं।
आइए आपके साथ कुछ चित्र साझा करते हैं:-
चलिए हम जानते हैं कि हम संक्रांति क्यों मनाते हैं?
संक्रांति का क्या महत्व है?
इस दिन हमे क्या दान धर्म करना चाहिए?
और संक्रांति कहां कहां मनाए जाते हैं? किस नाम से जाने जाते हैं?
इसके बारे में हम जानेंगे विस्तृत जानकारी हमारे अगले ब्लॉग में तब तक इतना ही पढ़ कर संतोष करें।
आपका स्नेही गौरव कुमार।
मेरी ओर से आप सभी को संक्रांति का ढेर सारी शुभकामनाएं एडवांस में।
अधिक जानकारी के लिए मेरे अगले ब्लॉग को पढ़ना ना भूलें।
धन्यवाद।
कुछ जगह पर पतंग उड़ाई जाते हैं।
कुछ जगह लोग गंगा स्नान भी करने जाते हैं। साथ ही यह काफी धार्मिक पर्व माना जाता है। और आज के दिन दान पुण्य का दिन भी माना जाता है।
इस दिन लोग तिल से बने तिलकुट खाना नहीं भूलते।
गांव मे तिलकुट बनाने का काम एवं लाई बनाने का काम 15 रोज पहलेे से ही शुरू कर देते हैं।
गांव में बना बनाया लाइ भी प्राप्त हो जाता है। और घरों में चुरा का लाइ मूड़ी का लाइ भी बनाया जाता है। बिहार में चावल के पीसे हुए आटे से कसार भी बनाए जाते हैं।
संक्रांति के दिन । मां अपने बेटे एवं पोते सी तिलकुट खाने को कहती है। साथ ही बेटे पोते के द्वारा बह भरने को भी कहा जाता है। अर्थात बेटे को जिम्मेवारी निभाने को कहां जाता है।
कुछ जगह मकर संक्रांति को ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। साथ ही दान भी किया जाता है। बिहार में यह पर्व व्यंजनों का पर्व भी माना जाता है।
क्योंकि इस दिन बहुत तरह की सब्जी एवं व्यंजन बनाए जाते हैं। और दही चूड़ा तो अवश्य ही खाए जाते हैं।
संध्या के समय सभी के घर पर अथवा सार्वजनिक तौर पर खिचड़ी बनाए जाते हैं।
यह खिचड़ी प्रसाद के रूप में बनाया जाता है। तथा इसे देवताओं को भी चढ़ाया जाता है। या खिचड़ी काफी स्पेशल होता है। तथा कई तरह की हरी सब्जियां का प्रयोग भी किया जाता है। जैसे मटर आलू उड़द का दाल अरवा चावल एवं धनिया पत्ता साथ ही अन्य बहुत तरह के मिश्रण करके खिचड़ी बनाए जाते हैं।
यह दिन थोड़ा आलसी भी माना जाता है। क्योंकि बिहार में दही चुरा काफी लोकप्रिय होता है। लोग दही चुरा पेट भर भर कर खा लेते हैं। वह यह भी नहीं देखते की चूरा बढ़िया से फुुला है कि नहीं। और परिणाम स्वरुप दही चुरा पेट में ही फूलना शुरू हो जाता है। कुछ लोग तो इतना दही-चूड़ा खा लेते हैं। की उल्टी करने लगते हैं।
अब भाई साहब को कौन समझाए । आप सभी बंधुओं से निवेदन है। की 2018 के संक्रांति में थोड़ा संयम बनाकर रखें। दही चुरा खाने का यदि ज्यादा मन हो। तो कृपया दो तीन बार में खाएं।
अब ऊपर वाली बात मे थोड़ी हंसी भी आती होगी।
सब कुछ होते हुए भी इस बार का मकर संक्रांति मजेदार ना होगा खासकर सुप्रीमो लालू प्रसाद द्वारा मकर संक्रांति बड़ी धूमधाम से मनाई जाती थी। हर साल कई राजनेताओं के बीच लालू प्रसाद यादव मकर संक्रांति में दही चुरा भोज का आयोजन करते थे। पर इस बार हमें बहुत ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है। कि इस बार का मकर संक्रांति लालू प्रसाद यादव के घर शायद धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा। क्योंकि उन्हें साढ़े तीन साल का जेल का सजा सुनाया गया है।
ऐसे लालू यादव दही चूड़ा को बहुत पसंद करते हैं।
आइए आपके साथ कुछ चित्र साझा करते हैं:-
चलिए हम जानते हैं कि हम संक्रांति क्यों मनाते हैं?
संक्रांति का क्या महत्व है?
इस दिन हमे क्या दान धर्म करना चाहिए?
और संक्रांति कहां कहां मनाए जाते हैं? किस नाम से जाने जाते हैं?
इसके बारे में हम जानेंगे विस्तृत जानकारी हमारे अगले ब्लॉग में तब तक इतना ही पढ़ कर संतोष करें।
आपका स्नेही गौरव कुमार।
मेरी ओर से आप सभी को संक्रांति का ढेर सारी शुभकामनाएं एडवांस में।
अधिक जानकारी के लिए मेरे अगले ब्लॉग को पढ़ना ना भूलें।
धन्यवाद।
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